Thursday, June 23, 2011

सपने

बेरंग थे सपने मेरे
रंग तुमसे आये हैं,
अमावस की रात में
फिर सपने छाये हैं ।

ढलती रातों में
गालों पे ढुलकते
रंग आँसुओं के ।

पल-पल बदलती है
जो मुस्कान तेरी,
हैं छुपे उसमें
रंग मेरी वफ़ाओं के ।

बच्चे के बचपन में
भरे रंग शरारत के,
और यौवन के सपनों में
हैं रंग मुहब्बत के ।

हो बेरंग तो
है अमावस यह ज़िंदगी,
अमावस की रात को
है रंग दीपावली ।


2 comments:

Someone is Special said...

no words Ritu... "*****" to this post.. and will my life be colourful

Someone is Special

Ritu Bhanot said...

Thanks. I'm glad that you like it. :-)