Wednesday, October 26, 2011

एक ऐसी दीपावली

नफ़रतों की अमावस में प्रीत की लौ जलायें


आइये इस दिवाली हँसी की फुलझड़ियाँ चलायें ।।


उजाले आज सब आपस में बाँट लें

दुःखों के ढेर से खुशियों को छाँट लें ।

लक्ष्मी जी आयें जो मेरे अँगना

पता तुम्हारा भी थमा दूँ उन्हें ।

आज हाथ हो किसी का तंग ना,

थोड़ा-सा अपनापन देते हैं उन्हें

जो जी जला रोटियाँ पकायें ।

चलें, अपने दिये से दिये सब जलायें ।।


नफ़रतों की अमावस में प्रीत की लौ जलायें

आइये इस दिवाली हँसी की फुलझड़ियाँ चलायें ।।



आप सब को दीपावली की शुभकामनायें



No comments: