Monday, October 31, 2011

सात अरबवीं मनु-संतान – स्वागतम्


आज अगर आप गूगल या ट्विट्टर पर हैं तो देखेंगे कि चहुँ ओर बस यही चर्चा है कि दुनिया में सात अरबवें बच्चे का जन्म होने वाला है । ऐसे में मन अनायास ही पूछ बैठता है:
नन्हे-मुन्ने बच्चे तेरी मुट्ठी में क्या है ?

और उत्तर यह नहीं मिलता:
मुट्ठी में है तक़दीर हमारी,
हमने क़िस्मत को बस में किया है ।

यह उत्तर मिल भी कैसे सकता है ? वो नन्हा-मुन्ना मासूम तो जानता भी नही कि उसके भाग्य में क्या है ।

एक युग में संसार अपने नन्हे कान्हा का इंतज़ार कर रहा था यह आस लगाए कि यह बाल उसे कंस के अत्याचारों से मुक्त कर प्रेम और शाँति के पथ पर ले जाएगा । फिर कहीं तीन बुद्धिमान व्यक्ति बेथलेहॅम के तारे का पीछा करते उस बच्चे की तलाश में निकले थे जो यहूदियों का राजा बनने वाला था । यदुवंश कुलगौरव और यहूदियों के राजा के बाद आज फिर संसार एक नन्हे बालक का इंतज़ार कर रहा है । इस बच्चे में ऐसी क्या ख़ासियत है ? क्या यह धार्मिक गुरू होगा या चमत्कार या फिर कोई अवतार ? आखिर क्या लिखा है इस के भाग्य में ?

आप अगर गूगल पर ढूँढते हैं तो आपको बताया जाता है कि इस बालक का जन्म या तो भारत में होगा या फिलीपीन में ।  संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष के अनुसार फिलीपीन दुनिया का १२वाँ सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है जबकि भारत दूसरे स्थान पर है ।  फिलीपीन की जनसंख्या ९.५ करोड़ है और भारत में १२ अरब लोग रहते हैं ।  दुनिया की १.३५% आबादी का घर है फिलीपीन व भारत में रहते हैं दुनिया के १७.३६% लोग ।  फिलीपीन का सकल घरेलू उत्पाद १,९९५,९१० लाख अमरीकी डॉलर है और भारत का १६,३१९,७०० लाख अमरीकी डॉलर ।  प्रति व्यक्ति आय को देखा जाए तो फिलीपीन भारत से कुछ ही कदम आगे ३९२० अंतर्राष्ट्रीय डॉलर के साथ १२५वें स्थान पर है और भारत ३४०८ अंतर्राष्ट्रीय डॉलर के साथ १२९वें स्थान पर ।  फ़ोर्ब्स के अनुसार दुनिया के सबसे खुश देशों में भारत ११५वें स्थान पर है और फिलीपीन ९४वें स्थान पर ।  भारत की आर्थिक विश्वस्तता की परख बी०बी०बी०- है और फिलीपीन की बी०बी० ।  ऐसे में क्या यह बच्चा यह गायेगा :
आँखों में झूमे उम्मीदों की दिवाली
आने वाली दुनिया का सपना सजा है ?

क्या सपना देख सकती है यह नन्हीं मनुसंतान ? क्या यह अपने देशवासियों से ज़्यादा सुखी व स्वस्थ होगी ?  ऐसी परिस्थितियों में यह उत्सव-सा वातावरण क्यों ?  अब तक जो लोग इस धरा पर हैं क्या हमने उनका इतनी अच्छी तरह ध्यान रखा है ?

कुछ भी हो, हे मनुसंतान, हम स्वागत करते हैं तुम्हारा इस कठिनाइयों भरे जीवन में क्योंकि:
मुश्किलों से लड़ते-भिड़ते जीने में मज़ा है ।

हम स्वर्ग दे पायेंगे यह वचन तो नहीं देते पर तुम्हें ही नहीं अपितु हर मनुष्य को प्रेम व श्रद्धा का उपहार तो दे ही सकते हैं ।

दुर्भाग्यवश समय हमारे साथ नहीं है । आर्थिक मंदी के इस दौर में हम और कमज़ोर हो चुके हैं । भ्रष्टाचार व मँहगाई ने कमर तोड़ दी है । बेघर लोगों की फ़हरिस्त लंबी होती जा रही है । बैंक व देश दिवालिये हो चुके हैं । समय कठिन है । पर हम दुआ करते हैं कि तुम इन सब कठिनाइयों पर विजयी हो मनुसंतानों की विजय-पताका इस जीवन की युद्धभूमि में ऊँची, और ऊँची, फ़हराओ । बस, इंतज़ार की घड़ियाँ ख़त्म होने को हैं । शीघ्र ही तुम्हारी किलकारियाँ गूँजेंगी इस धरा के आँगन में । और हम हर जन्म का स्वागत करते हैं, तुम्हारा भी करेंगे ।

भले ही तुम सात अरबवीं मनुसंतान बनते-बनते रह जाओ, फिर भी तुम्हें वही प्रेम मिलेगा जो हर मनुष्य का अधिकार है । घर में तुलसीदल और गंगाजल के अतिरिक्त कुछ न हो तब भी मन-आत्मा से करेंगे तुम्हारा स्वागत । हमारे लिए तुम केवल एक अंक नहीं हो । तुम एक माँ का उपहार हो इस मानवता को और हमें याद दिलाते हो कि भले ही संकट के बादल कितने की काले क्यों न हों, मानवता रूपी सूर्य की किरण उसे पल भर में दूर कर सकती है ।

तुम कोई भी हो, कहीं भी पैदा हुए हो, किसी भी धर्म या संप्रदाय से हो, हे मनुसंतान, याद रखना, तुम सर्वप्रथम मनुष्य हो । इस पूरे ससार के हो क्योंकि आज सारा सँसार टकटकी लगाए अपने सात अरबवें बच्चे का इंतज़ार कर रहा है ।

अंत में बस - स्वागतम् ।


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